यूनिवर्सिटी और यूजीसी से जुड़े एक्सपर्ट का मानना है कि दोबारा से भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के अलावा अब कोई रास्ता नहीं है और इसमें करीब एक साल लग सकता है। पिछले पांच वर्ष में यह तीसरा मौका है जब भर्ती का विज्ञापन जारी होने के बाद नियुक्तियां नहीं हो सकीं। सूत्रों के मुताबिक भर्ती प्रक्रिया जुलाई 2011 के अंत तक पूरी होनी थी, लेकिन निर्धारित समय के दो महीने गुजरने के बाद भी कुछ नहीं हो सका है। छह महीने की समय सीमा बढ़ाने के लिए जुलाई में ही सिंडीकेट की मंजूरी लेनी थी, वो भी नहीं ली गई। नियमानुसार निर्धारित समय पर भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं होने पर भर्ती को निरस्त माना जाता है।
इसके अलावा यूजीसी द्वारा मानदंडों में जो बदलाव किए गए हैं, उनको लागू करने के लिए अब यूनिवर्सिटी को दुबारा विज्ञापन जारी करके आवेदन मांगने पड़ेंगे।
इन मानदंडों में उलझी शिक्षक भर्ती
* राजस्थान यूनिवर्सिटी 2007 से बड़े स्तर पर शिक्षक भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर रहा है लेकिन निर्धारित समय सीमा में प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती ,है।
* यूजीसी ने सितंबर के पहले सप्ताह में नोटिफिकेशन निकाल दिया है कि पीएचडी और एमफिल को भी भर्ती में शामिल किया जाए जबकि पुराने आवेदन पुरानी गाइडलाइन में पीएचडी, एमफिल को भी असिस्टेंट प्रोफेसर के योग्य नहीं माना है इनके लिए पहले नेट स्लेट अनिवार्य था। अब यूजीसी के नए नियमों के मुताबिक पुराने नियमों से पीएचडी, एमफिल करने वाले भी योग्य होंगे।
* यूजीसी की नई गाइड लाइन में एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पद की भर्ती के लिए अनुभव में वृद्धि की गई है। ऐसे में अब दोबारा आवेदन मांगने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है।
कुल 900 शिक्षकों के पद स्वीकृत
: करीब 425 शिक्षक तैनात
: करीब 475 पद रिक्त
: 303 शिक्षक के पदों पर भर्ती निकली, इनमें प्रोफेसर पद पर 34, एसोसिएट प्रोफेसर पद पर 52 और असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर 220 की भर्ती होनी है।
शिक्षक भर्ती के लिए कब-कब विज्ञापन
: 20 नवंबर, 2007 को तय समय में भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई
: 25 जुलाई, 2008 में भी विज्ञापन जारी हुआ पर भर्ती नहीं हो सकी।
: 1 जनवरी, 2010 में फिर विज्ञापन जारी हुआ
: 10 सितंबर को दोबारा विज्ञापन जारी हुए, जिसमें 303 शिक्षकों की भर्ती होनी थी, इसका री एड जनवरी में हुआ था।
भर्ती की स्थिति का हमें पता नहीं है। कब, क्या हुआ और क्या नियम हैं, यह फाइल देखकर बता सकूंगा। वैसे भी यह डेढ़-दो साल पुराना मामला है और मैंने दो महीने पहले ही जॉइन किया है।
निष्काम दिवाकर, कुलसचिव, राजस्थान यूनिवर्सिटी
मैं इस बारे में वस्तुस्थिति पता करके ही कुछ बता पाऊंगा क्योंकि यह मामला मेरे पदभार संभालने से पहले का है।
प्रो बीएल शर्मा, कुलपति
Source: हर्ष खटाना
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